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Showing posts from June, 2018
नमस्कार, मैं एक कृष्ण भक्त हूँ । मुझे उनके कृपाकण का पूर्ण अनुभव है । मैं कबीर जी को एक महान समाज सुधारक, और भ्रष्ट योगी मानता हूँ, ये मेरा स्वतंत्र अनुभव और विचार है । इसके बहुत से कारण हैं । मैं उपयुक्त समय मिलने पर इसका बड़ी जिम्मेदारी से जबाब देने को तैयार हूँ । कुछ मूर्खलोग कबीर जी के योग से भ्रष्ट होने के बाद उनके भर्मित शब्दों पर विचार कर-करके उन्हें परमतत्व (परात्पर, परब्रह्म, परमात्मा) मानते हैं । उसका कारण कबीर जी ने जब देखा कि लोग उनकी उपेक्षा करने लगे हैं, उनको सन्मान नही देते तो फिर उन्होंने सोचा कि अब तो जब ये मुझे मानते ही नही तब तो सब खत्म ही कर दूंगा । कवि तो थे ही, उन्होंने उल्टा बोलना शुरू किया । जैसे कि... पीछे-पीछे हरि फिरे कहत कबीर-कबीर । भला हुआ मेरी माला टूटी, मै राम भजन से छूटी । माला जपूं न कर जपूं और मुख से कहूँ न राम । राम हमारा हमे जपे और हम पायो विश्राम ।। इत्यादि भर्मित शब्दों से लोगो को अपनी ओर आकर्षित किया । मेरा मानना है कि वो जब सबको इक्कठा करने के प्रयास से, अल्हा और राम नाम एकसाथ लेने लगे, तो उनका मुसलमानों द्वारा महान विरोध हुआ होगा ...