नमस्कार,

मैं एक कृष्ण भक्त हूँ । मुझे उनके कृपाकण का पूर्ण अनुभव है ।
मैं कबीर जी को एक महान समाज सुधारक, और भ्रष्ट योगी मानता हूँ, ये मेरा स्वतंत्र अनुभव और विचार है । इसके बहुत से कारण हैं । मैं उपयुक्त समय मिलने पर इसका बड़ी जिम्मेदारी से जबाब देने को तैयार हूँ ।
कुछ मूर्खलोग कबीर जी के योग से भ्रष्ट होने के बाद उनके भर्मित शब्दों पर विचार कर-करके उन्हें परमतत्व (परात्पर, परब्रह्म, परमात्मा) मानते हैं ।
उसका कारण कबीर जी ने जब देखा कि लोग उनकी उपेक्षा करने लगे हैं, उनको सन्मान नही देते तो फिर उन्होंने सोचा कि अब तो जब ये मुझे मानते ही नही तब तो सब खत्म ही कर दूंगा । कवि तो थे ही, उन्होंने उल्टा बोलना शुरू किया । जैसे कि...
पीछे-पीछे हरि फिरे कहत कबीर-कबीर ।
भला हुआ मेरी माला टूटी,
मै राम भजन से छूटी ।

माला जपूं न कर जपूं और मुख से कहूँ न राम ।
राम हमारा हमे जपे और हम पायो विश्राम ।।

इत्यादि भर्मित शब्दों से लोगो को अपनी ओर आकर्षित किया ।
मेरा मानना है कि वो जब सबको इक्कठा करने के प्रयास से, अल्हा और राम नाम एकसाथ लेने लगे, तो उनका मुसलमानों द्वारा महान विरोध हुआ होगा । कारण उस समय मुगलों द्वारा हिंदुस्तान को  "गजबा ए हिन्द" के तहत पूरी तरह नष्ट करने का प्रयास था । ऐसे में मुसलमान ये तो कभी भी सहन नही कर सकते थे । इसीलिए उनका भयंकर विरोध मुसलमानों की तरफ से हुआ । इसी प्रकार हिन्दू भी विरोध में थे, की कबीर केवल राम नाम ले, न कि मुस्लिमों के ख़ुदा का नाम । कारण! जब उनके मन्दिर मुगलों द्वारा तोड़े जा रहे है, तो कहीं ये भी हमें अन्दर से मुस्लिम तो नही बना रहा । इस भय में इनका सबको इक्कठे करने के प्रयास में ख़ुदा नाम हिंदुओं को नगवार था ।
अंत में कबीर ने देखा इसप्रकार तो मुझे कोई मानेगा ही नही । तब उन्होंने ये उल्टा पंथ निकाला ।  जिसमें दोनों को ही नकार दिया हो । इसप्रकार फिर से कलि के चेलो (नास्तिकों) का एक नए रूप में इक्कठे होने का सिलसिला शुरू हुआ । आज उन्ही की साखियों को लेकर फिर से अज्ञानता का युद्ध शुरू हुआ है ।
हमारे समाज को सावधान रहना चाहिए । कबीर जी के इन तथाकथित अनुयायियों के लिए मेरे पास बहुत तथ्य हैं मगर ये लोग इसको सहन नही कर सकते ।
फिर आप लोग जो भी जिसका भी भजन कर रहे हो केवल हृदय से करने की कोशिश जिससे कि आपको भी भगवान ध्रुव, प्रह्लाद, तुलसी, मीरा, गोपालभट्ट इत्यादि गोस्वामियों की तरह दर्शन दें । मैं आपसे सच कहता हूं कि वो अगर मुझे कृपा कर सकतें है तो आपके ऊपर भी कृपा करेंगे । केवल निष्ठा से भजन न छोड़ें ।
वो हैं !!
इसका प्रमाण कि आप हो !!
बल्ब जल रहा है !! मतलब की उसके पीछे करंट है, नही वो प्रकाश नही कर सकता । ऐसे ही जब आत्मा है तो समझ लो कि परमात्मा भी है । केवल आपको उसके दूसरे छोर तक पहुंचने के लिए अपने आप को तैयार करना है ।
तैयार करने का मतलब:-
अगर आप बल्ब के प्रकाश का कारण ढूंढना चाहोगे तो आपको अपना ट्रांसफार्मर धीरे-धीरे बड़ा करना होगा जोकि उस पॉवर प्लांट की ऊर्जा को धारण करने में समर्थ हो । नही तो बीच में ही अपने आपको सप्लायर समझने के कारण खुद को ख़ुदा से भी बड़ा मान कर नष्ट हो जाओगे । जैसे हिरण्यकश्यप, रावण, मेघनाथ इत्यादि असुर हुए । वो लोग कर तो भजन रहे थे, मगर थोड़ी शक्ति पाते ही सर्वशक्तिमान को भूल गए । खुद को ही परमात्मा कहने में नही कतराए ।
जो लोग शुरू में भजन करते-करते यां तो बीच में छोड़ दें या फिर उसका उल्टा भगवान की सेवा छोड़, शक्ति को प्राप्त करतें हैं । उनका सारा का सारा भजन नष्ट होकर उल्टी दिशा में चल पड़ता है । इसका प्रमाण चारो युगों के अनेकों ऋषि गण हैं । कलियुग मे भी कई ऐसे विचारक हुए हैं । अब उनके कलि महाराज के कारण अनुयायी भी बहुत बढ़ रहे हैं ।
आपसे निवेदन है:-
आप अपना साधन भजन मत छोड़े, चाहे दुनिया लाख कोशिश कर ले ।
जयराधेश्याम

Comments

  1. Send me more detail about kabir

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  2. Bhai pehle Kabir ke baare m padh ke aa ....phir gyaan baatna ....aur dusri baat Kabir ke ram alag the ....agar aapne kabhi padha hua ho to ...yt par acharya Prashant ku video dekh sakte ho agar padhna nhi aata to (genz responding isliye rude hun)

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